दिल का दर्द ज़बाँ पे लाना मुश्किल है, अपनों पे इल्ज़ाम लगाना म | 💟MerE AlFaaz💟
दिल का दर्द ज़बाँ पे लाना मुश्किल है,
अपनों पे इल्ज़ाम लगाना मुश्किल है,
बार-बार जो ठोकर खाकर हँसता है,
पागल दिल को अब समझाना मुश्किल है,
दुनिया से तो झूठ बोल कर बचा जा सकता है,
मग़र ख़ुद को ख़ुद से ही बचाना मुश्किल है,
पत्थर चाहे ताज़महल की सूरत में हो,
सर पत्थर से टकराना ज़रा मुश्किल है,
जिन अपनों का दुश्मन से समझौता है,
उन अपनों से घर को बचाना मुश्किल है,
जिसने अपनी रूह का सौदा कर डाला,
उसका महफ़िल में आना अब मुश्किल है,.......