*ग़ज़ल* वो राज़ा कहाँ है वो रानी कहाँ है वो गुड़ीयाँ गुड्डे कि कहानी कहाँ है कर गुजरा उसने चाहा है जो भी इस दिल ने मेरी बात मानी कहाँ है बैठे रहते है बच्चे कॉम्यूटर पे अब कहानी सुनाने को नानी कहाँ है किस्सा है कोई न कहानी है कोई वो जवानी बताओ जवानी कहाँ है चढ़े सुलीपे जो मोहब्बत के ख़ातिर अब वो दिवाना दिवानी कहाँ है महदूद है हम कसबे, तक हमारे हमे क्या पता राजधानी कहाँ है छुआ है दिल को ख़यालो ने तेरे हमे ऐसे में निंद आनी कहाँ है हर तरफ़ है यारो सहरा ही सहरा आँख़ो की ज़िद है के पानी कहाँ है नये दौर के है नये तौर दीपक अब इन में वो बाते पुरानी कहाँ है _दीपक महदूद- सिमीत तौर- ढ़ंग 275 views17:47