2022-06-16 18:25:59
दिल हैरान परेशान कई रोज़ से है,
उनसे मिलने का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।
अना का आईना एक दिन तो टूटेगा जरूर,
दिल इस उम्मीद के साए में कई रोज़ से है ।
भटक रही हूँ कई रोज़ से यहां से वहां,
कहाँ जाऊं दिल बेक़रार कई रोज़ से है ।
एक मैं दिल में लिए फ़िरती हूँ बेइंतेहा चाहत,
एक उनके इक़रार का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।
सौ सवाल, जवाब और हिज़्र ज़दा दिल,
उनके जवाब का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।
हिचकियों से ना हो दुश्वार कहीं साँसे उनकी,
मेरे होंठो पर उनका नाम कई रोज़ से है ।
इतना भी वास्ता तू उनसे ना रख ऐ मेरे दिल,
उनके बेख़याली के चर्चे सरेआम कई रोज़ से है ।
~अ𝐐𝐈ला
206 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:25