Get Mystery Box with random crypto!

💟MerE AlFaaz💟

Logo of telegram channel merealfaaz — 💟MerE AlFaaz💟 M
Logo of telegram channel merealfaaz — 💟MerE AlFaaz💟
Channel address: @merealfaaz
Categories: Uncategorized
Language: English
Subscribers: 14
Description from channel

बेहतरीन शायरों के शेर,गज़ल,नज़्म का संग्रह 📃📚

Ratings & Reviews

3.33

3 reviews

Reviews can be left only by registered users. All reviews are moderated by admins.

5 stars

1

4 stars

1

3 stars

0

2 stars

0

1 stars

1


The latest Messages 2

2017-03-09 20:47:57 रुप अपना संवारेंगे कहां तक भला

गवाही लिए सामने आईना आ गया
292 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:47:45 निगाहों में किसी तस्वीर का होना न हीं अच्छा
जुदाई में मेरे हमदम कभी रोना नहीं अच्छा

पी है जो मय-ए-इश्क तो करना भी एहतराम
रिन्दी में कभी होश का खोना नहीं अच्छा

ऐ गौहर-ए-नायाब मेरे जीस्त के हासिल
तेरे लिए फूलों का बिछौना नहीं अच्छा

टूटे हुए दिल वाले दुनिया को संभाले हैं
सरापा दर्द है उनपे कभी हँसना नहीं अच्छा

ये इश्क इम्तहान है आरिफ़ से हुनर ले
मजनू की तरह सेहरा में भटकना नहीं अच्छा।।

-अबू आरिफ।।
280 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:47:35 उदासी देख अपना ध्यान रखना...

कि मैं अब मुस्कुराने जा रहा हूँ...!!!
284 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:47:26 इस दौरे सियासत का बस इतना फ़साना है !

बस्ती भी जलानी है ,मातम भी मनाना है !!
255 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:47:18 बेच कर अपना लहू भेजा था पैसा बाप ने...

शहर में बेटे ने महबूबा को तोफा दे दिया...
258 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:47:04 *ग़ज़ल*

वो राज़ा कहाँ है वो रानी कहाँ है
वो गुड़ीयाँ गुड्डे कि कहानी कहाँ है

कर गुजरा उसने चाहा है जो भी
इस दिल ने मेरी बात मानी कहाँ है

बैठे रहते है बच्चे कॉम्यूटर पे अब
कहानी सुनाने को नानी कहाँ है

किस्सा है कोई न कहानी है कोई
वो जवानी बताओ जवानी कहाँ है

चढ़े सुलीपे जो मोहब्बत के ख़ातिर
अब वो दिवाना दिवानी कहाँ है

महदूद है हम कसबे, तक हमारे
हमे क्या पता राजधानी कहाँ है

छुआ है दिल को ख़यालो ने तेरे
हमे ऐसे में निंद आनी कहाँ है

हर तरफ़ है यारो सहरा ही सहरा
आँख़ो की ज़िद है के पानी कहाँ है

नये दौर के है नये तौर दीपक
अब इन में वो बाते पुरानी कहाँ है

_दीपक
महदूद- सिमीत
तौर- ढ़ंग
275 views17:47
Open / Comment
2017-03-09 20:46:54 तेरे लिए सब कुछ लिखना...


बस तेरा नाम ना लिखना...
244 views17:46
Open / Comment
2017-03-09 20:46:38 वो माथा का मतला हो कि होंठों के दो मिसरे

बचपन से ग़ज़ल ही मेरी महबूबा रही है
228 views17:46
Open / Comment