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मामुपेत्य पुनर्जन्म दु:खालयमशाश्वतम्। नाप्नुवन्ति महात्मान: सं | DailyGitaShlok

मामुपेत्य पुनर्जन्म दु:खालयमशाश्वतम्।
नाप्नुवन्ति महात्मान: संसिद्धिं परमां गता:॥ १५॥

महात्मालोग मुझे प्राप्त करके दु:खालय अर्थात् दु:खोंके घर (और) अशाश्वत अर्थात् निरन्तर बदलने-वाले पुनर्जन्मको प्राप्त नहीं होते; (क्योंकि वे) परम सिद्धिको प्राप्त हो गये हैं अर्थात् उनको परम प्रेमकी प्राप्ति हो गयी है।

Great souls, who have attained the highest perfection, having come to Me, are no more subject to rebirth, which is the abode of sorrow, and transient by nature. (8:15)