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यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:। प्रयाता यान्ति तं क | DailyGitaShlok

यत्र काले त्वनावृत्तिमावृत्तिं चैव योगिन:।
प्रयाता यान्ति तं कालं वक्ष्यामि भरतर्षभ॥ २३॥

परन्तु हे भरतवंशियोंमें श्रेष्ठ अर्जुन! जिस काल अर्थात् मार्गमें शरीर छोडक़र गये हुए योगी अनावृत्तिको प्राप्त होते हैं अर्थात् पीछे  लौटकर नहीं आते और (जिस मार्गमें गये हुए) आवृत्तिको प्राप्त होते हैं अर्थात् पीछे लौटकर आते हैं, उस कालको अर्थात् दोनों मार्गोंको मैं कहूँगा।

Arjuna, I shall now tell you the time (path)departing when Yogis do not return, and also the time (path) departing when they do return. (8:23)