2020-08-13 10:52:39
मैं क्यों अब चेहरे पर
एक नकाब लिए फिरता हूँ
मैं होठों पर अब आग और
दिल मे ऱाख लिए फिरता हूँ
धुँए की मीठी घुटन के बीच
अपनी पहचान लिए फिरता हूँ
भीगी बरसात के आगोश मे
सुलगती साँस लिए फिरता हूँ
जीत कर हारा हूँ मैं कुछ इस कदर
हर दरवाज़े से दुत्कार लिए फिरता हूँ
जिस कमी को कोई समझ नही सकता
वो समझाने की ज़िद लिए फिरता हूँ
अपनी एक अजीब मुस्कान के पीछे
दर्द के टुकड़े हज़ार लिए फिरता हूँ
ढूंढता हूँ पुराने साथियो के निशान और
पीठ पर ज़ख़्म हज़ार लिए फिरता हूँ
कुछ सपनो को तोड़ दिया है मैने
और झूठी शान लिए फिरता हूँ
कुछ कहना है, पर सबको लगता है मैं
कहानियाँ कुछ बेकार लिए फिरता हूँ
सुन लो मेरी तमन्नाओ की फरियाद
में माफी की गुहार लिए फिरता हूँ
मैं होठों पर अब आग और
दिल मे ऱाख लिए फिरता हूँ
By : @Do_Good_For_Otherss
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