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मौलिक अधिकार बनाम निदेशक तत्व विवाद 39 ‘क’,ख जैसे निदेशक तत | IAS Polity Quiz™🎓

मौलिक अधिकार बनाम निदेशक तत्व विवाद

39 ‘क’,ख जैसे निदेशक तत्वों को लागू करने वाली विधियां मौलिक अधिकारों का उल्लघंन करती थी।

इसीलिए यह विवाद पैदा हुआ कि दोनो में श्रेष्ठ कौन है?

गोलकनाथ वाद में न्यायालय ने कहा कि यदि निदेशक तत्वो को लागू करने वाली विधि किसी मौलिक अधिकार को छिनती है तो उसे विधि शून्य घोषित कर दिया जाएगा,क्योंकि प्राथमिकता मौलिक अधिकार को दी जाएगी

गोलकनाथ प्रभाव को समाप्त करने के लिए सरकार ने 25 वाँ संविधान संशोधन किया।

इस संशोधन के माध्यम से निदेशक तत्वो को मौलिक अधिकार के ऊपर प्राथमिकता दी गयी।

संशोधन के द्वारा अनुच्छेद 31(ग) को अनुच्छेद 39 (ख, ग) किसी मौलिक अधिकार को छिनता है तो न्यायालय 39(ख, ग) को लागू करने वाली विधि को विधि शून्य नही घोषित कर पायेगा,क्योंकि अनुच्छेद 31 ‘ग’ उसकी सुरक्षा करेगा।

केशवानंद भारती वाद में न्यायालय ने सरकार के पक्ष का समर्थन किया अर्थात अनुच्छेद 31 ‘ग’ अनुच्छेद 39 (ख, ग) को सुरक्षा प्रदान करेगा।

न्यायालय के इस निर्णय से उत्साहित होकर इंदिरा गांधी की सरकार ने 42 वे संविधान संशोधन के द्वारा 31 ‘ग’ को सभी निदेशक तत्वो का बॉडीगार्ड बना दिया अर्थात निदेशक तत्वो को मौलिक अधिकार पर अधिमान्यता प्रदान कर दी।

आगे चलकर मिनर्वामिल्स वाद में न्यायालय ने 42 वे संशोधन को खारिज करके केशवानंद भारती वाद वाली स्थिति लौटा दी।अर्थात 31 ‘ग’ केवल और केवल 39 (ख, ग) की ही सुरक्षा करेगा।

न्यायालय ने यह भी कहा कि निदेशक तत्व और मौलिक अधिकार एक दूसरे के पूरक है इनके बीच प्राथमिकता का प्रश्न नही उठना चाहिए आज भी यही स्थिति बनी हुई है।



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