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उपनिवेशी काल में महिलाऐं ●कर्नाटक में कित्तूर रियासत की रानी, | IAS

उपनिवेशी काल में महिलाऐं

●कर्नाटक में कित्तूर रियासत की रानी, कित्तूर चेन्नम्मा ,तटीय कर्नाटक की महारानी अब्बक्का रानी ,झाँसी की महारानी रानी लक्ष्मीबाई, अवध की सह-शासिका बेगम हज़रत महल जैसी महिलाओं ने न सिर्फ अपने प्रशासनिक गुणों का परिचय दिया बल्कि अंग्रेजो तथा अन्य यूरोपीय शक्तियों से युद्ध कर अपनी वीरता का भी परिचय दिया।

●होल्कर वंश की महारानी आहिल्या बाई होल्कर अर्थव्यवस्था , राजव्यवस्था,प्रशासन , सैनिक कुशलता में दक्ष थीं।

●भोपाल की बेगमें भी इस अवधि की कुछ उल्लेखनीय महिला शासिकाओं में शामिल थीं। उन्होंने परदा प्रथा को नहीं अपनाया और मार्शल आर्ट का प्रशिक्षण भी लिया।

●कालांतर में , कादम्बिनी गांगुली , एनी बेसेंट , सुचेता कृपलानी ,कस्तूरबा गाँधी इत्यादि महिलाओं सहित अनेक जन सामान्य से आई महिलाओं ने स्वदेशी आंदोलन , असहयोग आंदोलन , भारत छोड़ो आंदोलनों में सहयोग दिया।

●सावित्री बाई तथा कूचविहार की महारानी नारी शिक्षा पर जोर दिया। दुर्गा भाभी जैसी कई महिलाओं ने स्वतंत्रता आंदोलनों में अपने प्राणो की परवाह न करते हुए अपना योगदान दिया था। इस काल में सतीप्रथा , शिशु बध पर रोक तथा विधवा पुनर्विवाह के प्रोत्साहन से महिलाओं को एक नवीन स्फूर्ति मिली जिसका प्रयोग उन्होंने राष्ट्र को स्वतंत्र कराने में किया।

स्वतंत्र्योत्तर भारत में महिलाऐं

●स्वतंत्र्योत्तर भारत में स्वतंत्रता , अधिकार ,समानता जैसे आदर्शो के साथ भारत की महिलाऐं समस्त क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर रहीं हैं।

●भारत के सफल नेतृत्वकर्ताओं में श्रीमती इंदिरागांधी जी का नाम आदर से लिया जाता है। प्रतिभा देवीसिंह पाटिल देश के सर्वोच्च पद पर भी आसीन रहीं।

●वर्तमान में भी बहन मायावती, ममता बनर्जी , सोनिया गाँधी , वसुंधरा राजे ने यह सिद्ध किया है कि महिलाओ की प्रशासनिक क्षमता भी राष्ट्र निर्माण में सहायक होती है।

●खेल के क्षेत्र में मिताली राज , पीबी सिंधु , सानिया मिर्जा ,साइना नेहवाल का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। यहाँ तक की कॉर्पोरेट जगत में नीता अम्बानी , अरुंधति भट्टाचार्य , चंदा कोचर , इंदिरा नूई का नाम प्रसिद्द है।

निष्कर्ष

ऐतिहासिक रूप से पिछड़ेपन से उबरकर भारत की महिलाओ ने सभी क्षेत्र में कीर्तिमान स्थापित कर राजनीति से लेकर खेल , अभिनय , कला , पत्रकारिता , प्रशासन में अपना लोहा भी मनवाया है तथा भारत के निर्माण में योगदान दिया है। भारत को सर्वोच्चता के शिखर पर पहुंचाने में इन महिलाओं का योगदान अविस्मरणीय रहेगा।

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