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रसायन विज्ञान ●भारत को प्राचीन काल से ही धातु विज्ञान में दक् | IAS

रसायन विज्ञान

●भारत को प्राचीन काल से ही धातु विज्ञान में दक्षता प्राप्त है। धातु विज्ञान में भारत की दक्षता उच्च कोटि की थी। 326 ईस्वी पूर्व पोरस ने 30 पौंड वजन का भारतीय इस्पात सिकंदर को भेंट में दिया था। दिल्ली के महरौली इलाके में खडा लौह स्तंभ (चौथी शताब्दी) 1700 वर्षो से गर्मी और वर्षा प्रभाव के बावजूद भी जंगरहित बना हुआ है। यह भारत उत्कष्ट लौह कर्म का नमूना है।

●इसके अतिरिक्त उडीसा के कोणार्क मंदिर तेरहवीं शताब्दी में निर्मित लगभग 90 टन भार का लौह का स्तंभ भी आज तक जंगरहित है।

●ऋषि कणाद ने छठी शताब्दी ई.पू. ही इस बात को सिद्ध कर दिया था कि विश्व का हर पदार्थ परमाणओं से मिलकर बना। कणाद का परमाणु सिद्धांत विश्व में सबसे पहले आया हुआ परमाणु सिद्धांत है।

अभियंत्रण तथा वास्तुकला

●सिंधु घाटी सभ्यता से ही भारत वास्तुशास्त्र के क्षेत्र में अग्रणी था। सिंधु की नगरीय व्यवस्था वर्तमान नगरों के लिए एक प्रेरणा है।

●महाजनपद काल तथा मौर्य काल के दौरान हुए भवन ,स्तम्भ , गुफा निर्माण , चैत्य निर्माण भारत की उन्नत वास्तुकला का उदाहरण है।

●भारत में मूर्ती , मंदिरो की एक उन्नत श्रृंखला है। पहाड़ काट क्र बनाया गया कैलाशनाथ मंदिर अभियंत्रण का एक उन्नत नमूना है।

वैज्ञानिक :-

●प्राचीन काल में आर्यभट्ट , वाराहमिहिर , ब्रह्मगुप्त, नागार्जुन , चरक ,सुश्रुत , बौधायन जैसे महान वैज्ञानिक रहे हैं।

निष्कर्ष

निस्संदेह प्राचीन भारत गणित , चिकित्सा , भौतिक विज्ञान , जैसे क्षेत्रो में वराहमिहिर , आर्यभट्ट ,नागार्जुन जैसे वैज्ञानिको की उपस्थिति में तकनीकी रूप से उन्नत था। सिंधु घाटी के समकालीन सभ्यताओं में सिंधु जैसी वैज्ञानिकता नहीं है। इसके साथ ही प्राचीन भारत में लगभग भारत तकनीकी तथा आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर होकर विश्वगुरु के रूप में सम्पूर्ण विश्व का नेतृत्वकर्ता था।

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