ये जो कुल्फी खाते हुए एक हथेली कुल्फी के नीचे लगाये रहते हो ना इसे ही गीता में श्रीकृष्ण ने “मोह” बताया है. और कुल्फी खतम होने के बाद भी जो डण्डी चाटते ही रहते हैं इसे ही गीता में श्रीकृष्ण ने “लोभ” कहा है और डण्डी फेंकने के बाद , सामने वाले की कुल्फी देखकर सोचना कि उसकी खत्म क्यों नहीं हुई, इसे गीता मे “ईर्ष्या” कहा गया है, और कुल्फी खतम होने से पहले डन्डी से नीचे गिर जाये और केवल डण्डी हाथ मे रह जाये तब तुम्हारे मन में जो आता है…. इसे ही गीता मे “क्रोध” कहा है ये जो नींद पूरी होने के बाद भी 3 घंटे तक बिस्तर पर मगरमच्छ की तरह पड़े रहते हो ना ! शास्त्रों में इसे ही “आलस्य” कहा गया है। ये रेस्टोरेंट में खाने के बाद जो कनस्तर भरके सौंफ और मिश्री का बुक्का मारते हो ना !! शास्त्रों में इसे ही “टुच्चापन” कहा है ।। ये जो ताला लगाने के बाद उसे पकड़ कर खींचते हो ना !! इसे ही शास्त्रों में ‘भय’ कहा गया है ।। ये जो तुम WhatsApp पर मैसेज़ भेजने के बाद बार बार दो नीली धारियाँ चेक करते हो ना ! इसे ही शास्त्रों में ‘उतावलापन’ कहा है… वो जो तुम गोलगप्पे वाले से कभी मिर्च वाला कभी सूखा कभी दही वाला कभी मीठी चटनी वाला माँगते वक़्त उसे “भैया” बोलते हो ना.. बस इसी को शास्त्रों में “शोषण” कहा है फ्रूटी खत्म होने के बाद ये जो आप स्ट्रा से सुड़प-सुड़प करके आखिरी बून्द तक पीने की कोशिश करते हो न…. शास्त्रो में इसे ही “मृगतृष्णा” कहा गया है ये जो तुम लोग केले खरीदते वक्त, अंगूर क्या भाव दिये ? बोल के 5-7 अंगूर खा जाते हो ना……शास्त्रो में इसे ही “अक्षम्य अपराध” कहा गया है। ये जो तुम.. भंडारे में बैठकर.. खाते हुए.. रायते वाले को आता देखकर.. जल्दी से.. रायता पी लेते हो….!! . . शास्त्रों में.. इसे भी “छल” कहा गया है !! और इस पोस्ट को पढ़कर जो हँसी आती है उसे “सुख” कहा गया है और आगे फ़ॉर्वर्ड करने से जो आनन्द मिलता है उसे “मोक्ष” कहा गया है 69 viewsNandni yadav , 13:09