दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC), 1973 | Judiciary UP
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure- CrPC), 1973 की धारा 144
यह कानून भारत में किसी भी राज्य या केंद्रशासित प्रदेश के मजिस्ट्रेट को एक निर्दिष्ट क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के इकट्ठा होने पर रोक लगाने का आदेश पारित करने का अधिकार देता है।
यह उन उपद्रव या किसी घटना के संभावित खतरे के मामलों में लगाया जाता है जिसमें मानव जीवन को परेशानी या संपत्ति को क्षति पहुंँचाने की संभावना होती है।
यह आदेश किसी विशेष व्यक्ति या आम जनता के खिलाफ पारित किया जा सकता है।
धारा 144 की विशेषताएँ
यह दिये गए क्षेत्राधिकार में किसी भी प्रकार के हथियार रखने या ले जाने पर प्रतिबंध लगाता है।
इस तरह के कृत्य के लिये अधिकतम दंड तीन वर्ष है।
इस धारा केअंतर्गत पारितआदेश के अनुसार, जनता की आवाजाही नहीं होगी और सभी शिक्षण संस्थान बंद रहेंगे।
साथ ही इस आदेश के संचालन की अवधि के दौरान किसी भी प्रकार की जनसभा या रैलियांँ करने पर पूर्ण रोक होती है।
कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किसी गैर-कानूनी सभा को भंग न करना एक दंडनीय अपराध माना जाता है।
यह अधिकारियों को क्षेत्र में इंटरनेट एक्सेस को ब्लॉक करने का अधिकार भी देता है।
धारा 144 का अंतिम उद्देश्य उन क्षेत्रों में शांति और व्यवस्था बनाए रखना है जहांँ देनिक गतिविधयों को बाधित करने से परेशानी हो सकती है।
धारा 144 के आदेश की अवधि:
इस धारा के तहत कोई भी आदेश 2 महीने से अधिक की अवधि के लिये लागू नहीं हो सकता है।
राज्य सरकार के विवेक के तहत इसकी वैधता को दो और महीनों के लिये बढ़ाया जा सकता है जिसकी वैधता अधिकतम छह महीने तक हो सकती है।
स्थिति सामान्य होने पर धारा 144 को वापस लिया जा सकता है।