अधर्मी शिशुपाल का वध करते समय जब भगवान श्री कृष्ण की अंगुलियों से रक्त की धारा बहने लगी तो सभा मे उपस्थित सभी लोगों ने इधर-उधर दौड़ कर उनके रक्त को रोकने के लिए वस्त्र का इंतजाम करने लगे मगर पास में उपस्थित द्रौपदी ने बिना सोचे समझे अपने चिर का पल्लु फाड़ कर बांध दिया जिससे रक्त की धारा रुक गई भगवान श्री कृष्ण ने द्रौपदी की यह निच्छल दया भावना देख कर उन्होंने द्रौपदी को वचन दिया कि बहन जब तुम संकट में मुझे याद करोगी/संकट में होगी, मैं दौड़ा चला आऊंगा ,और भगवान ने अपने इस वचन को द्रौपदी के चीर हरण के समय निभाये भी तभी से रच्छाबन्धन का पर्व मनाया गाता है आपको motivational speaker satyam yadav की तरफ से रक्षाबंधन की हार्दिक शुभकामनाएं