2022-04-24 20:43:00तुम्हारे कमरे के टेबल पर रखी किताबों को बंद कर के, कुर्सी पीछे सरका के, एक ग्लास पानी पीकर और लाइट ऑफ़ कर के जब तुम बेड पर लेटते हो, आँखे खुली रख कर क्या सोचते हो ?
यही ना की क्या होगा ? क्या नहीं होगा ? रैंक ऊपर आएगी तो घर पर सबका रीऐक्शन कैसा होगा ? नीचे आएगी तो फिर क्या करूँगा ? इग्ज़ैम तक सबकूछ ठीक रहेगा ना ?
देखो, सोचने को तो बहूत सारी चीजें हैं । कभी कभी तुम्हें भुला बिछड़ा प्यार भी याद आ सकता है, रोते रोते सो भी जाओगे लेकिन ज़रूरी क्या है ? बताओ ना ज़रूरी क्या है ?
ज़रूरी है तुम्हारा कुर्सी पर से संतुष्ट होकर उठना, जंग जीत ली है आज की ऐसा सोचते हुए किताब बंद करना, आज का काम पूरा हुआ ये सोचकर एक ग्लास पानी पीना और कल फिर से लगेंगे ज़ोर शोर से ये सोचते हुए लाइट ऑफ़ करना ।
इसके अलावा जो भी तुम सोचोगे अंत में परेशान हो जाओगे, विद्यार्थी जीवन है, दुनिया भर की समस्या है सोचने को। कोई बहूत मुश्किल से कोटा पहुँचा होगा, कोई क़र्ज़ से आया होगा तो कोई ज़मीन गिरवी रख कर। तो उस से क्या ? उसको सोच सोच कर परेशान होने से क्या ? इमोशन से सिलेक्शन होगा ? नहीं ना ?
तो ज़रूरी क्या है ?
ज़रूरी है पढ़ना, जी जान से पढ़ना क्यूँकि किसी को कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता तुम कहाँ से आए हो कौन से बैक्ग्राउंड से आए हो …तुम सब कोटाइट हो। तुम सब को कोटा से निकल कर दुनिया पर छा जाना है, तुम सबको अपने माँ बाप के अरमानों का झंडा बुलंद रखना है ।
NEET/JEE की बात नहीं है ये, ज़िद की बात है । अगर तुम्हें ये करना ही नहीं है तो फिर और बात है लेकिन अगर करना है तो फिर काहे का सोचना ? उठो लाइट ऑन करो निपटाओ उस टॉपिक को जिसको कल के बहाने छोड़ कर उठे तुम, और फिर ग्लास का पानी पियो लाइट ऑफ़ करो और सो जाओ ।