ग़ज़ल मुहब्बत में है क्या असर देखते हैं चलो एक बार ऐसा कर देखते हैं कभी मैं भी उनका सफ़र देखता हूँ कभी वो भी मेरा सफ़र देखते हैं ये भटकन का आलम यहाँ आके तुम हम न दिल देखते हैं न सर देखते हैं जहाँ जाना तुझको गवारा नहीं दिल ! चल उस रास्ते से गुज़र देखते हैं कई हैं कि जिनको नहीं इल्म इसका कहाँ देखते हैं किधर देखते हैं नज़र में उभरती है इक थरथराहट अगर तेरी आँखों को तर देखते हैं ये नज़रें हैं उनकी अब इसमें मेरा क्या तेरे घर को जो मेरा घर देखते हैं कभी दिव्य को बाख़बर इक ज़रा सा कभी इक ज़रा बेख़बर देखते हैं . ............ ̶B̶l̶a̶c̶k ̶h̶e̶a̶r̶t ⋇⋆✦⋆ 『𝐃𝐀𝐑𝐊 𝐀𝐍𝐆𝐄𝐋』 806 views℣ɪᴘ᭄●⃝ ᴳᴵᴿᴸ⁹⁹⁹⁺, 07:57