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ELECTRONIC PHYSICS वर्ष 1967 ई. में इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र | Dr. Sajid Ali

ELECTRONIC PHYSICS

वर्ष 1967 ई. में इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र में इलेक्ट्रॉनिकी कॉरपोरिशन ऑफ इंडिया की स्थापना की गई ।

डायोड वाल्व (Diode Valve): इसका निर्माण फ्लेमिंग द्वारा वर्ष 1904 - में किया गया था |

यह एक ऐसी निर्वात नलिका है जिसमें केवल दो ही इलेक्ट्रोड तंतु एवं प्लेट होते हैं ।

डायोड वाल्व के द्वारा प्रत्यावर्ती धारा ( A.C.) को दिष्ट धारा (D.C.) में बदला जाता है ।

ट्रायोड वाल्व (Triode Valve): तीन इलेक्ट्रोड प्लेट, ग्रिड एवं तंतु वाली एक निर्वात नलिका है, जिसका निर्माण सन्‌ 1970 ई. में अमेरिका के लीटर डी. फॉरेस्ट ने किया था ।

ट्रायोड वाल्व को हम प्रवर्धक दोलित एवं सूचक की तरह प्रयोग करते हैं ।

 कैथोड किरणें (Cathode Rays): केथोड किरणें किसी विसर्जन नलिका के कैथोड से निकलने वाला इलेक्ट्रॉन पुंज है | ये किरणें ऋणावेशित होती है ।

केथोड के आप-पास एकत्रित इलेक्ट्रॉन समूह को अंतराल आवेश (Space Charge) कहा जाता है ।

कैथोड किरणों के गुण

केथोड किरणें सीधी रेखाओं में चलती हैं ।

केथोड किरणें सूक्ष्म किरणों से बनी हैं ।

आम तौर पर सैनिकों द्वारा लेसर को मृत्यु किरण (Death Ray) कहा जाता है ।

होलोग्राफी लेसर के द्वारा त्रिविमीय प्रतिबिम्ब को लिया जाता है । होलोग्राफी का प्रथम उपयोग सन्‌ 1962 ई. में वाई. एन. डेनीसुक ने किया था ।

लेसर विकिरण की प्रति इकाई क्षेत्रफल तीव्रता बहुत अधिक होती है अर्थात्‌ लेसर का फोकस जब उच्च होता है, तब लेसर की तीव्रता अपेक्षाकृत अधिक होती है |

चिकित्सा के क्षेत्र में लेसर का उपयोग-रेटिना, कैंसर, हृदय रोग इत्यादि में किया जाता है।

पहला वास्तविक लेसर (रूबी लेसर) कीमती दुर्लभ पत्थर से बनाया गया था |

रूबी लेसर एल्युमीनियम ऑक्साइड ( AI2O3) का क्रिस्टल है जिसमें क्रोमियम के परमाणु मिश्रित होते हैं |

लेसर प्रक्रिया में क्रोमियम के परमाणु मुख्य भूमिका निभाते हैं, वे स्पेक्ट्रम के पराबैंगनी प्रकाश की किरणें पीले और हरे प्रकाश को अवशोषित कर लेते हैं |

गेस लेसर (Gas Laser) में हीलियम और नियॉन का मिश्रण भरा होता है जिसे विदूयुत के इलेक्ट्रोड लगाकर उन्हें उच्च वोल्टता के स्रोत से जोड़ दिया जाता है ।

कुछ प्रमुख प्राथमिक सेलों का तुलनात्मक विवरण सेल का नाम ऋणात्मक इलेक्ट्रोड धनात्मक इलेक्ट्रोड विदूयुत अपघट्य विधुवक विद्युत वाहक बल साधारण वोल्टीय सेल Zn (जस्ता) Cu (तांबा) H2SO4का तुन विलयन - 1.08 वोल्ट लैक्लांशी सेल ZnC (कार्बन) NH4Cl (अमोनियम क्लोराइड का संतृप्त विलयन) मैंगनीज ऑक्साइड MnO2 1.46 वोल्ट शुष्क सेल Zn C NH4की लेई MnO2 1.46 वोल्ट डेनियल सेल Zn Cu H2SO4का तनु विलयन CuSO4 1.80 वोल्ट

इलेक्ट्रॉन (Electron): किसी तत्व के परमाणु में उपस्थित वह सूक्ष्म एवं ऋणावेशित कण जो नाभिक के चारों ओर एक नियत कक्षा में चक्कर लगाता है, इलेक्ट्रॉन कहलाता है |

मूल कणों के रूप में सर्वप्रथम इलेक्ट्रॉन की खोज, सन्‌ 1897 ई. में जे.जे. थॉमसन द्वारा की गई थी ।

प्रोटॉन (Proton): इसकी खोज, सन्‌ 1949 ई. में रदरफोर्ड ने की थी ।

प्रोटॉन एक धनात्मक मूल कण है जो परमाणु के नाभिक में रहता है ।

न्यूट्रॉन (Neutron): इसकी खोज, सन्‌ 1932 ई. में जेम्स चैडविक नामक वैज्ञानिक नेकी थी ।

न्यूट्रॉन एक आवेश रहित मूल कण है जो परमाणु के नाभिक में रहता है ।

इसका जीवन काल बहुत ही कम मात्र 47 मिनट होता है, आवेश रहित होने के कारण इसका उपयोग नाभिकीय विखंडन में किया जाता है ।

मेसर (Maser): इसका उपयोग अंतरिक्ष व समुद्र में संदेश-प्रेषण, जटिल ऑपरेशन, कैंसर, अल्सर एवं आंख की बीमारियों की चिकित्सा हेतु प्रयुक्त किया जाता है ।

वर्ष 1954 ई. में गॉर्डन, गीगर तथा टाउन्स नामक अमेरिकी वैज्ञानिकों द्वारा निर्मित पहला मेसर अमोनिया मेसर है ।

मेसर में सूक्ष्म तरंगें उत्पन्न होती है जबकि लेसर में प्रकाश किरणें उत्पन्न होती है | मेसर लेसर के सिद्धांतों पर ही कार्य करता है ।

समुद्र के अंदर संदेश भेजने के लिए मेसर तरंगों का उपयोग किया जाता है ।

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