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सूक्ष्म आत्मिक चिंगारी का स्वाभाविक लगाव उन्हीं गुणों से है, ज | The Bliss Of Krishna Consciousness

सूक्ष्म आत्मिक चिंगारी का स्वाभाविक लगाव उन्हीं गुणों से है, जो पूर्ण परमेश्वर में है-ज्ञान, आनन्द और शाश्वतता-परन्तु भौतिक शरीर के कारण आत्मा की ये इच्छाएँ पूरी नहीं होतीं और उसे निराशा प्राप्त होती है। आत्मा की इच्छा को पूरा करने की विधि के बारे में जानकारी भगवद्गीता में दी गई है।
वर्तमान काल में हम एक अपूर्ण साधन के द्वारा ज्ञान, आनन्द और शाश्वतता प्राप्त करने की चेष्टा कर रहे हैं। वास्तव में, इन उद्ेश्यों की ओर हमारी प्रगति भौतिक शरीर के कारण अवरूद्ध हो रही हैं, इसलिए हमें शरीर से परे अपने अस्तित्व साक्षात्कार पर पहुँचना है। सैद्धान्तिक ज्ञान कि हम ये शरीर नहीं हैं, कुछ काम नहीं आएगा। हमें अपने आपको शरीर से अलग, उसके स्वामी के रूप में रखना होगा, सेवक के रूप में नहीं। यदि हम भलीभाँति जानते हैं कि कार कैसे चलाई जाती है, तो वह हमें अच्छी सेवा देगी लेकिन यदि हम नहीं जानते, तो यह हमारे लिए खतरनाक स्थिति होगी।

~ His Divine Grace AC Bhaktivedanta Swami Prabhupada (Book :- जन्म और मृत्यु से परे)