2021-02-05 18:09:23
ज्योतिष आपने सांप सीढ़ी का खेल जरूरत खेला होगा जैसे कि सांप सीढ़ी के खेल में गोटी आगे बढ़ती है दो स्थितियां बनती है या तो साप डसेगा या फिर सिढी मिल जाने पर नैया पार हो जाएगी। जीवन सीधी लकीर से चलता है। वह अस्तित्वविहीन होते हैं जो पर्वत के अंतिम बिंदु पर पहुंचना चाहते हैं उसे ही गिरने का भी खतरा बना रहता है।कालसर्प योग उन्हीं की कुंडली में देखने को मिलता है जो कि बहुत ज्यादा क्रियाशील होते हैं। सर्प का मुख कभी अपयश बनकर आता है,शत्रु बनकर आता है,धोखे के रूप में आता है,दुर्घटना, रोग,अस्थिरता इत्यादि सभी के बीच से व्यक्ति जीवन में ग्रसित होता ही है। राहु अमृत प्राप्त किया हुआ ग्रह है एवं यह कभी नहीं मरता और धड़ विहीन है। राहु क्रूर ग्रह के नाम से जाना जाता है परंतु वास्तव में यह रहस्यमय ग्रह है एवं इसे छाया ग्रह भी कहते हैं। विशेषकर राजनीतिक,पारिवारिक और अध्यात्म की रहस्यमय श्रृंखलाओं मैं यही ग्रह उत्थान पतन करता रहता है। राहु की अंतर्दशा,महादशा इसकी विभिन्न ग्रहों के साथ यूती, कुंडली में इसका स्थान विभिन्न प्रकार के कालसर्प योगों का निर्माण करता है। आदि गुरु शंकराचार्य जी ने स्पष्ट लिखा है-
त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रयायुधम् ।
त्रिजन्मपाप संहारमेकबिल्वं शिवार्पणम्।।अर्थात भगवान शिव को एक बिल्वं पत्र चढ़ाने से 3 जन्मों के पाप और ताप का सहार होता है और साथ ही जातक में शिवत्व की स्थापना होती है। सर्प शिव का प्रिय आभूषण है भगवान शिव का नाम ही नीलकंठेश्वर है जैसे-जैसे शिवत्व आत्मासात होता जाएगा नाना प्रकार के सर्पों का विष जातक पर असर नहीं करेगा। अब कालसर्प योग का ढोल बहुत ज्यादा पीटा जाने लगा है। इसे कहते हैं ज्योतिष कालसर्प योग, जब ज्योतिषी स्वयं सर्प बनकर जनमानस में कालसर्प योग का भय फैलाने लगे तो उसे कहते हैं ज्योतिष कालसर्प योग। निवारण अत्यंत ही सरल है आदि गुरु शंकराचार्य जी ने 2000 वर्ष पहले ही कालसर्प योग का निवारण बिल्वाष्टकम् मे लिख दिया है अर्थात शिवलिंग स्थापित करो प्रतिदिन उन पर बिल्वं पत्र अर्पित करते हुए
ह्रीं ॐ नमः शिवाय ह्रीं का जाप करो परंतु लोगों को मानसिक संतुष्टि के लिए कई बार उल्टे-सीधे अनुष्ठानों की जरूरत पड़ती है। अब किसी से भी कहा जा सकता है सोने की बिल्व पत्र बना लोओ और शिव जी को एक टांग पर खड़े होकर अर्पित करो। बाद में दान दे देना, इस प्रकार की स्थितियां जातक स्वयं ही खड़ी करते हैं। कालसर्प योग के निवारण के लिए शिव मंत्र प्राप्ति और शिवलिंग स्थापना से ही निवारण हो जाता है। महीने में एक बार रुद्राभिषेक कर लेना चाहिए जिससे कि कालसर्प योग के अलावा बहुत सी विपरीत स्थितियों का समाधान हो जाता है।रुद्राभिषेक में शिव,गणेश,नंदी,भैरव,भैरवी,लक्ष्मी,सरस्वती,काली, चंडिका,यक्ष,किन्नर,योगिनीयाँ, ग्रह इत्यादि सभी का आवाहन पूजन तर्पण और पुष्टिकरण निहित है। शिव शक्ति से ही समस्त ब्रह्मांड रचित है। इसके अलावा पाशुपतास्त्र, कालिकास्त्र,गणेशास्त्र,अघोरास्त्र और अंत में नीलकंठास्त्र से तो सर्प रूपी समस्त पाशों का मर्दन हो जाता है। पाश से मुक्ति ही कालसर्प योग से मुक्ति है।
@Sanatan
338 views𝑱𝒂𝒈𝒅𝒊𝒔𝒉 𝒑𝒓𝒂𝒔𝒂𝒅 , edited 15:09