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J&K में आतंकवाद की समस्या 3-4 दशकों से भी ज्यादा पुरानी है। Ka | Avinash Srivastava

J&K में आतंकवाद की समस्या 3-4 दशकों से भी ज्यादा पुरानी है। Kashmir में बदलाव हो रहा है और निरंतर कोशिश की जा रही है लेकिन अभी भी बहोत लंबी दूरी तय करनी है, कदाचित कई साल और लगेंगे। Article 370 और 35-A हटाने और Ja'mat-e-I$lami को बैन करने में 6 दशक लग गए। Kashmir में जो बड़े और छोटे बदलाव हो रहे हैं ये उसकी ही प्रतिक्रिया है कि I$lamists वहां सिलेक्टेड हत्याएं कर रहे हैं। आज फिर उन्होंने एक चेतावनी दी और KP's डर गए, खुद ही लेटर लिख रहे है कि उन्हें पलायन करने में Govt उनकी मदद करे। जो गलती 90's में की वही अब दोहरा रहे हैं, मिलकर डटकर मुकाबला क्यों नहीं कर सकते? आईना दिखा रहा हूँ तो संभव है कुछ मित्रों को ये पोस्ट चुभ जाए, पर लिखना आवश्यक है, संभव हो तो ठंडे दिमाग से समझने की कोशिश कीजियेगा कि क्या कहना चाह रहा हूँ। एक तो आप लोग ये Kashmiri Pandits की जगह Kashmiri Hindu लिखना और बोलना शुरू करो, वैसे Jammu और Kashmir में मिलाकर कितनी जनसंख्या होगी Hi'ndu's की? लड़ो सब मिलकर, अस्तित्व की लड़ाई कुर्बानी मांगती है। अरे भगवान भी उसी की सहायता करते है जो अपनी सहायता खुद करता है। लड़ना कट्टरपंथ के खिलाफ था लेकिन मैं देख रहा हूँ कि Social Media वाले अधिकतर KP's ने अपनी ऊर्जा तो Modi-Shah के विरुद्ध एजेंडा ड्राइव करने में लगा रखी है। ऊपर वाला जाने क्या अचीव होगा इससे? जो व्यक्ति तब 90's में लाल चौक में झंडा फहराने से लेकर आज तक आपके लिए लगा हुआ है आप उसी को हूल देने और दुत्कारने में लगे हो। KP's को तय करना होगा कि उन्हें I$lamic कट्टरपंथ के खिलाफ लड़ना है या Modi-Shah को कोसना है। इतना भुगत चुके हैं लेकिन BBC जब इंटरव्यू लेता है तो बहोत से KP's अभी भी भाईचारे की बात करते नहीं थकते, ये कौन सा दोगलापन है? समझने वाली बात है कि ये KP's का अपना संघर्ष है जो उन्हें सबके साथ मिलकर आगे बढ़ाना है। अब कुछ आंकड़े भी देख लीजिए, जहां 1989 से लेकर 2003 तक J&K में प्रतिवर्ष औसत 792 civilians की हत्या हुई और फिर 2004 से 2013 तक प्रतिवर्ष औसत 208 civilians की हत्या हुई, वही 2014 से अभी 2021 तक प्रतिवर्ष औसत 37 civilians की ही हत्या हुई है। 370 हटने के बाद से J&K में civilians की हत्याओं में तेजी से कमी आई है लेकिन अभी भी रह रहकर घटनाएं हो रही हैं। हालांकि ये कोई जस्टिफिकेशन नही है कि पहले ज्यादा हत्याएं हुईं और अब कम परंतु स्थिति को समझने ले लिए कभी कभी तुलनात्मक आंकड़े देखने चाहिए। कोई भी Govt या कोई भी PM एकदम परफेक्ट नहीं हो सकता और न ही J&K में वो 69's - 70s के दशक वाला दौरे कभी आने वाला है। नए परिवेश को समझने की आवश्यकता है। GoI वहां निरंतर पुलिस व्यवस्था में बदलाव करने की कोशिश कर रही है और कानून व्यवस्था मज़बूत करने के प्रयास जारी हैं। J&K में अलगाववादी तितर बितर हो गए हैं और पत्थरबाजी की घटनाओं में तेजी से कमी आई है। वामपंथी और लुट्येन्स मीडिया भी नैरेटिव सेट नही कर पा रहा। केंद्र सरकार की Schemes लागू हो रही है, वृहत स्तर पर Infra वर्क भी हो रहा है और न सिर्फ इतना बल्कि आंतरिक और बाहरी Security ढांचे को भी मज़बूत किया जा रहा है। ये सब बदलाव होने के बावजूद एजेंडा चलाने वाले बहोत से KP's ये वीडियो बना रहे है कि, "government failed us", सच कहूं तो अब लगता है कि कहीं न कहीं ये खुद सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं अपनी दुर्दशा के ; जो इन्हें बचाने की कोशिश में लगा है उसी को दुत्कारना है इन्हें। बदलाव धीरे धीरे होगा, बाकी अब सबको सरसों हथेली पर उगाने की चाहत हो तो बात अलग है। शुक्र मनाइए की Govt आप KP's के साथ खड़ी है, बात सुनी जाती है, कुछ एक्शन होता है नही तो वो दौर भी था जब Govt खुद I$lamist के साथ खड़ी दिखती थी।