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तुम्हे जीस स्त्री से प्रेम है। यदि कभी वह किसी और के साथ आनंदि | 🅞🅢🅗🅞

तुम्हे जीस स्त्री से प्रेम है। यदि
कभी वह किसी और के साथ आनंदित होती
है, इसमें गलत क्या है?

तुम्हें खुश होना चाहिए कि यह प्रसन्न है, क्योंकि तुम उससे प्रेम करते हो, केवल ध्यानी ही ईर्ष्या से मुक्त हो सकता है।

एक प्रेमी बनो—यह एक शुभ प्रारंभ है लेकिन
अंत नहीं, अधिक और अधिक ध्यान मय होने में
शक्ति लगाओ। और शीध्रता करो, क्योंकि
संभावना है कि तुम्हारा प्रेम तुम्हारे हनीमून पर
ही समाप्त हो जाए। इसलिए ध्यान और प्रेम
हाथ में हाथ लिए चलने चाहिए। यदि हम ऐसे
जगत का निर्माण कर सकें जहां प्रेमी ध्यानी
भी हो। तब प्रताड़ना, दोषारोपण, ईष्र्या, हर संभव मार्ग
से एक दूसरे को चोट पहुंचाने की एक लंबी शृंखला
समाप्त हो जाएगी।

और जब मैं कहता हूं प्रेम हमारी स्वतंत्रता
होनी चाहिए। वे सारे जगत में मेरी निंदा करते
है। एक ‘सेक्स गुरू’ की भांति। निश्चित ही में
प्रेम की स्वतंत्रता का पक्षपाती हूं। और एक
भांति वे ठीक भी है। मैं नहीं चाहता कि प्रेम
बाजार में मिलने वाली एक वस्तु हो। यह मात्र
उन दो लोगों के बीच मुक्त रूप से उपलब्ध होनी
चाहिए। जो राज़ी है। इतना ही पर्याप्त है।
और यह करार इसी क्षण के लिए है। भविष्य के
लिए कोई वादा नहीं है। इतना ही पर्याप्त है।
और तुम्हारी गर्दन की ज़ंजीरें बन जायेगी। वे
तुम्हारी हत्या कर देंगी। भविष्य के कोई वादे
नही, इसी क्षण का आनंद लो। और यदि अगले
क्षण भी तुम साथ रहे तो तुम इसका और भी
आनंद लो। और यदि अगले क्षण तुम साथ रह सके
तुम और भी आनंद ले पाओगे।

तुम संबद्ध हो सकते हो। इसे एक संबंध मत
बनाओ। यदि तुम्हारी संबद्धता संपूर्ण जीवन
चले, अच्छा है। यदि न चले, वह और भी अच्छा है।
संभवत: यह उचित साथी न था शुभ हुआ कि तुम
विदा हुए। दूसरा साथ खोजों। कोई न कोई
कहीं न कहीं होगा जो तुम्हारी प्रतीक्षा कर
रहा है। लेकिन यह समाज तुम्हें उसे खोजने की
अनुमति नहीं देता है। जो तुम्हारी प्रतीक्षा
कर रहा है। जो तुम्हारे अनुरूप है।
वे मुझे अनैतिक कहेंगे.....मेरे लिए यही
नैतिकता है। जिसे वे प्रचलन में लाने का प्रयास
कर रहे है वह अनैतिक है।

ओशो
लास्ट टेस्टामेंट
भाग: 1, अध्याय—3
संयोजक संजीव