धीमी आँच पर पका तो रहीं हूँ अल्फ़ाज़ों को, ज़रा सा तुम होते तो लज़्ज़त होती ग़ज़लों में । ~अ𝐐𝐈ला 325 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 20:26