दिनभर तो लिखती रहती हूँ, तराने इश्क़ के । पढ़ा तुमने कभी नहीं ? जाओ धत्त । तुमने देखा ही नहीं आंखों में मेरी । ~अ𝐐𝐈ला 284 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 19:17