ज़िंदगी इन दिनों से शर्मसार बहुत हैं, इस दौर में क़ातिलों के तरफ़ | 💞 Status And Shayari
ज़िंदगी इन दिनों से शर्मसार बहुत हैं,
इस दौर में क़ातिलों के तरफ़दार बहुत हैं ।
वफ़ा सिसकती सिमटती बैठी दम तोड़ रही है,
बेवफाओं के यहां तलबगार बहुत हैं ।
शर्म किया तो कौड़ियों में बेच दिए जाओगे,
बेशर्मों कि दुनिया में भरमार बहुत है ।
नित नए नकाब में छुपाए फिरते हैं चेहरे,
पहचाने कोई कैसे इनके वफ़ादार बहुत हैं ।
जिनके किस्सों से भरा रहता है अखबार इन दिनों,
सुन अक़िला सफेदपोश यह मन के दागदार बहुत हैं ।
~अ𝐐𝐈ला
(अल्लाह हाफिज, खुश रहो सेहतमंद रहो )