2021-09-04 05:46:49
प्रिय मालिक
पूज्य बाबूजी महाराज
दिव्य लोक से संदेश
रविवार, 31 मार्च 2002 प्रातः 10:00 बजे
“चिन्ता मत करो ; समय परिवर्तन के बावजूद हम यहाँ मौजूद हैं, यह समय का बदलाव तुम्हारे
लिये ज़्यादा उपयोगी नहीं रहा है। इस मामले में भी लोग सनकी होते हैं। उनके मुताबिक ये
तमाम तरीके, देश की अर्थव्यवस्था को आगे बढ़ाने के लिये होते हैं। उन्होंने इस बात को
नज़रअंदाज़ किया कि इसकी वजह से कई लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो जाता है। इंसान
भी किसी विरोधाभास से कम नहीं है; अपने संतुलन से भी ज़्यादा उसके लिये मुनाफ़ा मायने
रखता है। इसीलिये हमारे संपर्क भी परिस्थिति के अनुसार ढल जायेंगे। तुम यह जानती हो
कि हमारे लिये समय और जगह मायने नहीं रखते हैं। यदि तुम किसी अन्य ग्रह पर होती तब
भी हम संपर्क करने का रास्ता खोज लेते। तुम, इंसानों के लिये एक संतुलित जीवन जीना
और सभी क्षेत्रों में, अपने अभ्यासों में नियत कार्यक्रमों का पालन करना महत्त्वपूर्ण है; हम
इस बात पर जोर देते हैं। हमारी जैविक घड़ी इसके कई कारणों में से एक कारण है, लेकिन
खासकर जिस स्पंदनात्मक प्रचुरता में तुम आगे बढ़ती हो उसके सम्बन्ध में इसके कई और भी
कारण हैं। जितना मुमकिन हो, जीवन के इस पहलू पर नियमित तौर पर गौर करने और अपने
अभ्यासों में कुछ हद तक नियमितता लाने की कोशिश करो, जो कि तुम्हें सही साम्यावस्था
बनाये रखने में मदद करेंगे। सबसे विशाल से लेकर सबसे छोटे तक, सभी जीव नियमितता
और गति की पूर्ण सटीकता के अधीन होते हैं। "
बाबूजी
43 viewsDeepanshu Singh, 02:46