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मेगस्थनीज ने नगर प्रशासक को एस्टोनोमोई कहा इस प्रकार कुल 30 एस | RAJASTHAN GK WITH PKRAJ©

मेगस्थनीज ने नगर प्रशासक को एस्टोनोमोई कहा इस प्रकार कुल 30 एस्टोनोमोइ थेजो पाटलीपुत्र प्रशासन से जुडे थे।
न्याय व्यवस्था- धर्मस्थानीय न्यायलय - आधुनिक दीवानी न्यायलय कि तरह । इसके मामले वाक् पारुष्य कहलातेथे
कंटक्शोधक न्यायालय - आधुनिक फौजदारी अदालत कि तरह । इसके मामले दण्ड पारुष्य कहलाते थे
चोरी ,डकैती ,लुट-पाट से सम्बंधित मामले 'साहस 'कहलाते थे ।
सैन्य व्यवस्था - चंद्रगुप्त के पास 6 लाख पैदल , 30 हजार अश्वारोही, 9 हजार हाथी तथा 800 रथ युक्त सेना थी । सैनिको कि संख़्या समाज मे कृषको के बाद सबसे अधिक थी।
कौटिल्य ने सेना के चार अंग बताए है- पैदल (प्रमुख- पत्याध्यक्ष), अश्व( प्रमुख - अश्वाध्यक्ष), हस्ति ( प्रमुख- हस्तयाध्यक्ष),रथ(प्रमुख- रथाध्यक्ष)।
6 प्रकार के पैदल सैनिक- मौल बल (पैतृक /स्थाइ सेना), भृटक( भाडे के सैनिक), श्रेणी(श्रेणितो कि सेना), मित्र बल (मित्र राज्य कि सेना), अमित्र बल ( अमित्र राज्य कि सेना), अटवीबल (जंगली जातियो कि सेना)
मैगस्थनीज के अनुसार 5 सद्स्यो वाली 6 समितियो द्वारा सैन्य प्रशासन किया जाता था । प्रथम समिति- जल सेना , द्वितीया समिति - युद्ध सामग्री ,रसद, यातायात प्रबंध, तृतीय समिति- पैदल सेना, चौथी समिति- अश्व सेना, पांचवी समिति- गज सेना, छठि समिति- रथ सेना।
गुल्म - सैनिक छावनिया , गुल्मदेय -सैनिको का वेतन
जस्टिन ने चंद्रगुप्त कि सेना को 'डाकुओ का गिरोह' कहा
गुप्तचर व्यव्स्था - अर्थशास्त्र मे गुप्तचरो को गुढ पुरुष कहा है । प्रतिवेदक व पुलेषनी गुप्तचर नही थे फिर भी सदैव सुचना का संकल्न करते थे ।
संस्था- एक हि स्थान पर रहकर कार्य करने वाले इनके5 प्रकार थे । 1. कापटिक (विद्यार्थि के वेशमे) 2. उदास्थित(सन्यासी के वेश मे)3. गृहपतिक (गरिब किसान के वेश मे) 4. वैदेहिक(गरिब व्यापारि के रुप मे) 5.तापस(तपस्वी के रुप मे)।
संचारा - भ्रमणशील गुप्तचर इनके 4 प्रकार थे । 1. सत्री - अनाथ बालको को बाल्यावस्था मे इस कार्य केलिए प्रशिक्षित किया जाता था जो साधु या ज्योतिष के वेश मे रहते थे ,2. तीक्ष्ण- धन के लिए प्राणो कि परवाह न करने वाले , 3.सरद- अपने बंधु बांधवो से भी स्नेह न रखने वाले क्रुर व आलसी प्रकृति के ,4. परिव्राजिका - भुक्षुणी/ सन्यासनी के वेश मे स्त्री गुप्तचर ।
उभयवेतन - विदेशो मे नियुक्त गुप्तचर
मेगस्थनिज ने महिला अंगरक्षिकाओ को समारानुतोगिनी कहा।
राजदुत - निसृष्टार्थ- सर्वाधिकार सम्पन्न राजदुत
परिमितार्थ - सिमित अधिकारो व उद्देश्यो से सम्बंध रखने वाले राजदुत
शासन हर - राजाज्ञा ले जाने वाले राजदुत ।

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प्रकाश कुमार राजपुरोहित