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ग़मगीन कोई सब्ज़-ए-गुलिस्ताँ की जज़ा से, किसी को इत्मिनान बारां-ए | 💞 Status And Shayari

ग़मगीन कोई सब्ज़-ए-गुलिस्ताँ की जज़ा से,
किसी को इत्मिनान बारां-ए-हिज़्र की सज़ा से ।

इज़हार-ए-शादमानी कोई करे अदा अदा से,
कोई करे बयान-ए-ख़ामोशी अपनी सदा से ।

फ़ाक़ाकश कोई अपनी मुक़म्मल ग़िज़ा से,
मुतमईन कोई अपनी ख़स्ताहाल ख़िज़ाँ से ।
~अ𝐐𝐈ला अɴसाʀ𝗶

कुछ न होते हुए भी कोई पूरी तरह से मुतमईन है। किसीके पास सबकुछ है, फिर भी सुकूँ नहीं।
जीना इसी का नाम है, शायद!

ग़मगीन- Depressed
सब्ज़ ए गुलिस्तां- Greenery of garden (Happiness here)
जज़ा- Reward
इत्मिनान- Satisfaction
बारां ए हिज्र- Rain of saperation (Sorrow here)
इज़हार ए शादमानी- Expression of happiness
सदा- Voice
फ़ाक़ाकश- Starving, hungry
मुक़म्मल ग़िज़ा- Complete diet (Delicious food here)
मुतमईन- Satisfied
ख़स्ताहाल ख़िज़ाँ- Dilapidated autumn (Days of sorrow here)

Good Night, शब्बा ख़ैर, शुभरात्रि