🔥 Burn Fat Fast. Discover How! 💪

बस का सफ़र हर रोज़ सुबह घर से ऑफिस के लिए निकलना, बस पकड़ना, खि | 💞 Status And Shayari

बस का सफ़र

हर रोज़ सुबह घर से ऑफिस के लिए निकलना, बस पकड़ना, खिड़की वाली सीट, ताज़ी हवा, मोबाइल, और ईयरफ़ोन । ये एहसास बहुत ख़ास रहता है मेरे लिए, और शायद उन सभी के लिए, जो मेरे साथ हर रोज़ ज़िन्दगी के इस suffer में बस का सफ़र तय करते हैं ।

कितना भी व्यस्त रख लूं अपने आप को किसी काम में, लेकिन ये दिमाग़ में विचारों का संघर्ष कभी भी मुझे एक काम में चित्त जमाने नहीं देता । दुनिया की सारी चिंताएं छोड़, विचारों की जद्दोजहद से परे आज भी उस आख़री सीट पे बैठ खिड़की के बाहर देख गाने के बोल पर ध्यान न देते हुए केवल संगीत और साथ में ताज़ी हवाओं का मज़ा लेना चाह रही थी, तब ही सुनाई दिया, 'विविध भारती की अगली पेशकश- यूँ ही चला चल राही, कितनी हसीन है ये दुनिया...बस ! ये सुनते ही ना चाहते हुए भी दिमाग़ की सुई मुझे अनगिनत सवालों और ख़ुद ही उनके जवाबों पर अटका गई । क्या वाकई में हसीन है दुनिया ? और हाँ, तो किस लिये ? दिमाग़ में जवाब आया, कि ज़िन्दगी को गौर से देखा जाए तो उसकी ख़ुशी छोटी छोटी चीज़ों में ही छिपी हुई है ।

वो पल जिनमें हम वक़्त तो गुज़ारते हैं, मगर उन्हें कभी जीते नहीं । अब इस 'बस' के सफ़र को ही देख लीजिए, कहने को केवल रोज़मर्रा की भागदौड़ और परिवहन का साधन है, लेकिन गहराई से सोचा जाए तो भारत जैसे देश में कहीं ना कहीं ये हज़ारों, लाखों लोगों के सपनों का भी वाहक है । बस के ये चार पहिये बस को तो चला रहे हैं, लेकिन आप इनकार नहीं कर पाओगे अगर मैं कहूँ कि ये चार पहिये देश की आबादी के बहुत बड़े हिस्से की आजीविका भी चला रहे हैं । अपने सफ़र में धीरे धीरे आगे बढ़ती ये बस गरीबों को आगे बढ़ने की एक आकांक्षा से जोड़े रखती है और मध्यमवर्ग के लिए ये सफ़र एक ऐसे अवसर के रूप में साबित होता है, जिसके ज़रिये वे अपनी पहली उड़ान का सफ़र तय करते हैं ।

ये ही बस की आख़री सीट पर बैठे हज़ारों युवक- युवतियाँ अपने कैरियर के सपने देखते हैं, और दो प्रेमियों के प्रेम की शुरुआत भी यहीं से होती है । घर से अपनी महत्वाकांक्षाएं पूरे करने के लिए निकल चूके लोग इस बस के सफ़र को किसी त्यौहार से कम नहीं मानते। अरे ! अपनी मुहब्बत को मंज़िल तक पहुंचाने के लिए भागे हुए युगल इस ही सफ़र से अपने जीवन का नया सफ़र तय करते हैं ।

एक बात तो तय है ! बहुत कुछ देता है, ये बस का सफ़र । खुशियाँ, जिज्ञासाएं, आतुरता, सपने, उम्मीदें, संघर्ष, विशेष भी बहुत कुछ ! और कहीं ना कहीं हमें सिखाता है कि ज़िन्दगी हर हाल में आगे बढ़ती है, विविध स्टेशनों पर अटकने के बावजूद, और ट्राफिक में फँसने के बावजूद ये दोबारा चलती है, चलती रहती है, मंज़िल से पहले क़भी भी रुकती नहीं ।

और काफ़ी वक़्त बीत गया इस सोच के साथ कि, ज़िन्दगी की छोटी छोटी बातों में ही उसकी ख़ुशी छिपी हुई है, और ज़िन्दगी के हर सफ़र को शौक से जिओ । इस सफ़र में आगे बढ़ते ही रहना है, कितनी भी रुकावटें आए, लेकिन मंज़िल तक ना पहुंचो तब तक रुकना नहीं है ।

इतने में मेरा स्टेशन आ गया। और मैं निकल गई इस नई सोच, इस नए जज़्बे के साथ, अपना सफ़र तय करने...!
~अ𝐐𝐈ला अɴसाʀ𝗶