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अपनी तन्हाई में इस क़दर गूंजती हूँ मैं, कि लफ़्ज़ नहीं पूरी क़िताब | 💞 Status And Shayari

अपनी तन्हाई में इस क़दर गूंजती हूँ मैं,
कि लफ़्ज़ नहीं पूरी क़िताब ही लिख दूँ ।

बेशक भूल जाए मुझे टेलिग्राम पर हर शख़्स यहां,
मैं ख़ुद को स्याह करके उसके जज़्बात ही लिख दूँ ।

ना मयस्सर हो किसी की सोहबत मुझे,
दुनिया को मैं अपना बकायेदार ही लिख दूँ ।

गुरेज नहीं है उनके किसी ज़ुर्म से यहां,
खताएँ उनकी सब अपने नाम लिख दूँ ।

अरे कोई काग़ज़, कलम, दवात तो 'अक़िला' को दे,
कि मैं अपना हर शेर उनपे उधार ही अब लिख दूँ ।
~अ𝐐𝐈ला