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💞 Status And Shayari

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The latest Messages 22

2022-05-19 21:25:17 मैं अपने जज़्बात दफ़न कर दूंगी,
तुम मेरी खामोशियों को समझ जाओगे न ।

मैं तुम तक हर बढ़ते कदम को रोकूंगी,
तुम मेरी बेबसीयों को समझ जाओगे न ।

मैं हर बार चाहत से इंकार करूंगी,
तुम मेरे दिल के हालात समझ जाओगे न ।

मैं तुम्हे खुद से दूर जाने को कहूंगी,
तुम मेरी मजबूरियों को समझ जाओगे न ।

मैं तुम्हे खुद से दूर जाने को कहूंगी,
तुम मेरी मजबूरियों को समझ जाओगे न ।

तुम पूछोगे इश्क़ है ? मैं पलकें झुका दूंगी,
तुम मेरी ना में उलझी हां समझ जाओगे न ।

मैं ठहर जाऊंगी अपने दायरों में हर बार,
तुम मेरी इन बेचैनियों को समझ जाओगे न ।

मैं इन्कार करूंगी तुम्हारे हर जज़्बात से,
तुम धड़कनों के इकरार को समझ जाओगे न ।

मैं चुपके से देखूंगी हर ख़्वाब तुम्हारा,
तुम मेरी बेरौनक हक़ीक़त समझ जाओगे न ।

मैं मुझ तक का हर रास्ता बंद कर दूंगी,
तुम मेरे इकतरफा इंतजार को समझ जाओगे न ।

अक़िला बंद कर लेगी आंखे किसी और की होकर,
तुम कहीं किसी और में थोड़ा सा मेरे रह जाओगे न ।
~अ𝐐𝐈ला
50 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 18:25
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2022-05-19 21:04:36 ज़िंदगी हमारी फ़ैसले लोगों के मज़ाक है क्या ?
साहिल से पहले सफ़ीना डूबा मज़ाक है क्या ?

एक पल में अल्फ सदी का तजुर्बा हासिल है,
छोटी सी उम्र में बुढ़ापा हाँ ये मज़ाक है क्या ?

तिलिस्म की दुनिया वो कहानियों की सुनहरी,
हक़ीक़त में रोई एक शहज़ादी मज़ाक है क्या ?

क़रीब से देखे हैं बेवफ़ा लोगों को हमने भी,
कसम से बा-अदब थे वो जो मज़ाक है क्या ?

गुमनामी के अंधेरे से डरते थे मुद्दत से दोस्तों,
गुमसुदा हो गए किरदारों में मज़ाक है क्या ?

फ़क़त एक मुश्त में समेटा है बुरादा हमने अक़िला,
सफुफ़-ए-दिल है नहीं ये कोई मज़ाक है क्या ?
~अ𝐐𝐈ला
52 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 18:04
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2022-05-19 19:17:35 हालात बुरे थे मगर रखता था शहज़ादी बनाकर,
हाँ हम गरीब थे ये सिर्फ़ मेरा बाप जानता था ।

मीनारों को सलाम झोपड़ियों को बद्दुवाए देते,
लोग अजीब थे ये सिर्फ़ मेरा बाप जानता था ।

जब हालात देख रिश्तेदार छूटे थे हमारे भी हाय,
साय ही हबीब थे ये सिर्फ़ मेरा बाप ही जानता था ।

पसीने से धो लेता था कपड़े ख़ुद ही ख़ुद के वो,
निवाले रकीब थे ये सिर्फ़ मेरा बाप ही जानता था ।

दुनिया की नज़र में हक़ीर वजूद रखते थे हम अक़िला,
बच्चे उसके अंदलीब थे ये सिर्फ़ हमारा बाप ही जनता था ।
~अ𝐐𝐈ला
(फादर डे पे स्कूल के प्रोग्राम के लिए लिखा था सन 2010 में तब उस वक़्त के हालात ही कुछ ग़ज़ल जैसे ही थी हमारी )
102 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 16:17
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2022-05-19 18:57:49 लोग काफ़िया और बह्र में उलझे हुए थे साहब,
और वो ग़ज़ल सुनाकर महफिलें लूट लिए ।
~अ𝐐𝐈ला
106 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:57
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2022-05-19 18:54:57 शिकवा है वक़्त-ए-हिजर मुझ में ठहरता क्यों नहीं है ?
लम्हां थमा है बरसों से आंखों से उतरता क्यों नहीं है ?

सुर्ख टुकड़ा रास्ते में मिला था हाँ हमें कल चलते,
फ़िर राह-ए-वफ़ा से अधूरा दिल मुकरता क्यों नहीं ?

हम तो लहज़े से मार खाए हुए हैं आख़िरकार देखो,
लफ़्ज़ों से हमारा मदावा कोई हाय करता क्यों नहीं ?

अक़िला अपनों की सताई हुई है आजकल देखो तो ज़रा,
टूटा वजूद सदा किरचिया होकर भी बिखरता क्यों नहीं ?

हक़ीर खीज़ा के गिरते पत्तों को समझना नहीं कभी,
बिना इसके मौसम-ए-बहार हाँ ये उतरता क्यों नहीं ?

ज़माना बड़े शौक दिलचस्पी से सुन रहा था अक़िला को,
देखते हैं अल्फ़ाज़ों का काफ़िला इसके बिखरता क्यों नहीं ?
~अ𝐐𝐈ला
106 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:54
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2022-05-19 18:41:45 दिल मेरा आज बहुत ख़ुश है ग़ज़ल लिखनी है,
जज़्बात मचलने को हैं तैयार ग़ज़ल लिखनी है ।

आओ भाई मिलके करते हैं शुरुआत एक ग़ज़ल लिखनी है,
कुछ तुम लिखो कुछ मैं लिखूं बस आज ग़ज़ल लिखनी है ।
~अ𝐐𝐈ला

दिल में जज़्बात मेरा आज उतर आते हैं,
सारे जज़्बात सजा कर ग़ज़ल लिखनी है ।
फैशल भाई का मिसरा

जज़्बात तेरे हो या मेरे हों आज लफ़्ज़ों का कारवां बनानी है,
ला भाई काग़ज़ कलम दवात बस आज एक ग़ज़ल लिखनी है ।
~अ𝐐𝐈ला
( चलो अब इस ग़ज़ल को पूरा करते हैं कोई हो तो अपना मिसरा जोड़ सकता है )
107 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:41
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2022-05-19 18:31:47 दिल मेरा आज बहुत ख़ुश है ग़ज़ल लिखनी है,
जज़्बात मचलने को हैं तैयार ग़ज़ल लिखनी है ।

आओ भाई मिलके करते हैं शुरुआत एक ग़ज़ल लिखनी है,
कुछ तुम लिखो कुछ मैं लिखूं बस आज ग़ज़ल लिखनी है ।
~अ𝐐𝐈ला

(दिल मेरा आज बहुत ख़ुश है ग़ज़ल लिखनी है ये लाइन मेरे भाई ने दिया है चलो अब इस ग़ज़ल को पूरा करते हैं कोई हो तो अपना मिसरा जोड़ सकता है )
106 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:31
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2022-05-19 17:08:41 बेजुबानों से हमदर्दी करना सीखो,
बिना लफ़्ज़ों के दुआ देते हैं ये ।
~अ𝐐𝐈ला

(Summer is on its strongly so you must have water for the birds around your house)
138 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:08
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2022-05-19 17:04:29 तुमने देखा ही नहीं ख़्वाबों का मरना लोगों,
तुम जानते ही नहीं टूटे ख़्वाब की क़ीमत क्या है ?
~अ𝐐𝐈ला
138 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:04
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2022-05-19 17:00:08 किताबों में पढ़ा वो तसव्वुर-ए-हिन्द कुछ और था,
हक़ीक़त ने हैरान कर दिया है आज अक़िला को ।
~अ𝐐𝐈ला
141 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:00
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