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💞 Status And Shayari

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The latest Messages 21

2022-05-23 17:14:19 मजदूर हूँ मजदूरी की मतलब जानती हूँ,
ज़िंदगी मे इस दूरी का मतलब जानती हूँ ।

इसलिए भी अब मैं दिल की बात नहीं सुनती,
पहले से ही महजुरी का मतलब जानती हूँ ।
~अ𝐐𝐈ला
(महजुरी- जुदाई)
84 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:14
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2022-05-23 17:11:36 दिल जाँ और क्या क्या तुमकों हम में प्यारा है,
ये सब लो यार पहले से ही तुम्हारा है ।
~अ𝐐𝐈ला
78 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:11
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2022-05-23 17:08:01 जाँ जाती है दिल दुखता है,
जब उनसे कोई मिलता है ।

मत कर अपना पागल मुझको,
इस पगली से ही घर गुलजार रहता है ।

अच्छा भी हो सस्ता भी हो,
ऐसा दिल अब कम मिलता है ।

तू ना कर अब वादा मुझसे,
इन वादों से अब डर लगता है ।

सुन ओ दिल ले जाने वाले,
तू मुझको अब क़ातिल लगता है ।
~अ𝐐𝐈ला
84 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:08
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2022-05-23 17:03:55 हम तो कहीं भी रह लें हमारा क्या है,
बात तो इस नासमझ दिल की है ।
~अ𝐐𝐈ला
88 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 14:03
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2022-05-23 15:14:02 दर्द-ए-दिल अब बुरा भी बहुत लगता है,
अच्छा भी अब अच्छा कहा लगता है ।
~अ𝐐𝐈ला
127 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 12:14
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2022-05-23 14:44:31 बचपन की कुछ सुनहरी यादें

जब मैं इस स्कूल में आयी थी तो मेरे लिए ये सिर्फ एक बिल्डिंग थी, जिसमें तमाम कमरे थे और उन तमाम कमरों में कई सारी खुली-बंद खिड़कियाँ । मुझे याद है जब भी मैं अपनी क्लास की खिड़की के बाहर देखती तो स्कूल के पास वाला रेत से भरा खाली मैदान सूरज की रोशनी में बिखरा हुआ नज़र आता, उदासी में डूबा हुआ नज़र आता जैसे मुझसे पूछ रहा हो, आजकल कहॉं रहती हो अक़िला ? कौन सी नई दुनिया में जाने लगी हो तुम ? पर उस वक्त मेरे पास उसके इन सवालों का कोई जवाब नहीं था क्योंकि मुझे खुद भी नहीं पता होता था कि क्यों मुझे रोज किताबों से भरा बस्ता देकर स्कूल भेज दिया जाता है ? कहते है, बचपन में जब बच्चों को उनके कुछ सवालों का जवाब ना मिले तो वो जवाबों को अपनी दिमागी नसों में खुद से ही उगा लेते है, बस ऐसे ही मैंने भी सोच लिया था कि स्कूल एक जगह है, जहॉं ब्लैक बोर्ड वो काली दीवार है जिस पर सफेद चॉक से लिखे जाते है कुछ लफ्ज़ ! बस उन लफ़्ज़ों की अपनी कॉपी में लिखना होता है और याद करना होता है । वक्त बीतने के साथ ही मेरी सोच और भी मजबूत होती गयी और मैं पढ़-लिखकर एक क्लास से दूसरी क्लास की सीढ़ियाँ चढ़ने लगी पर एक बार कुछ ऐसा हुआ कि फिर कभी मैंने क्लास के दौरान मैदान को नहीं देखा । मुझे याद है, हर रोज की तरह पढ़ने की बजाय मेरा ध्यान मैदान में हवा के झोंकों से उड़ती हुई रेत और तेज धूप की रोशनी पर था, तभी किसी नई मैडम ने मेरा नाम पुकारते हुए मुझे पूछा, ''अक़िला बाहर क्या दिखता है, तुम्हें ? मैं डॉंट के डर से घबराती हुई खड़ी हुई और बोली, मैदान, रेत, धूप तो वो बोली, धूप तो यहॉं भी है, रोशनी तो यहॉं भी है, उन्होंने मुझे ब्लैकबोर्ड की तरफ देखने को कहा तो मैं हँसते हुए सोचने लगी, ब्लैकबोर्ड में कैसे धूप हो सकती है, कैसे रोशनी हो सकती है ! उस वक्त उन्होंने मुझे मेरी जिंदगी का सबसे अहम सबक पढ़ाया । सबसे ज्यादा धूप तो यहीं है, ब्लैकबोर्ड पर लिखे जाने वाले शब्दों से लेकर किताबों में है । बस तब से मैदान के साथ साथ किताबों को भी मैंने अपना दोस्त बना लिया और अपने बड़े बड़े सपनों की छोटी सी दुनिया की नींव रखी ।

आज जब कई सालों बाद इस स्कूल से बाहर की दुनिया में जाना हो रहा है, तो खिड़की से दिखने वाला वो मैदान मुझे हरा-भरा सा मालूम पड़ता है, रेत की जगह घास ने ले ली है, और बच्चों की जगह माली के द्वारा लगाये हुए फूलों ने, मैं सोचती हूँ कि वो बच्चों को फूल क्यों नहीं तोड़ने देता ? भला, क्यों तोड़ने दे उसने इतनी मेहनत से उन्हें सींचा है जैसे, इस स्कूल की मैडम ने हम बच्चों को अपने प्यार और मेहनत से ।
~अ𝐐𝐈ला
137 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 11:44
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2022-05-23 14:22:14 तुम अक़िला को याद रखो या ना रखो,
इसलिए तो लिख रही हूं अब कहानियां ।

हयात तावील होगी मेरी भी यारों देखना,
ज़िस्म ख़ाक होगी मेरी भी ज़िंदा रखेंगी यही कहानियां ।
~अ𝐐𝐈ला
126 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 11:22
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2022-05-23 12:57:14 आजकल मेरी कलम बड़ी ख़ामोश है,
किसी की नज़र लगी या कोई आसपास है ।
~अ𝐐𝐈ला
150 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 09:57
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2022-05-23 11:32:01 Part 1

" अअअ, अर्श, अर्श, अर्शअर्श,

साहिबा, साहिबा कहॉं चली जा रही हो ? क्या हुआ, इतनी तेज़ क्यों चिल्ला रही हो, तुम ! तहरीम ने पूछा ।

मैं भाग रही थी ? तुमने मुझे चिल्लाते हुए सुना ? साहिबा ने हॉंफ्ते हुए तहरीम से पूछा तो तहरीम भी हैरान रह गई कि उसकी चंचल दोस्त को आज क्या हुआ है ?

तुम ठीक हो ना ? अरे, अब कहॉं जा रही हो ! साहिबा अस्पताल के अंदर जाने लगी तो तहरीम ने पूछा ।

वो किसी की फाइल सीनियर डॉ.जिया के कैबिन में रह गई थी तो बस उन्होनें ही मुझे फाइल देने के लिए भेजा था- साहिबा ने फाइल दिखाते हुए कहा ।

इस फाइल पर तो 'मोहम्मद फैशल' लिखा है पर तुम बार बार किसी अर्श का नाम ले रही थी ! तहरीम ने फाइल के ऊपर नाम पढ़ते हुए कहा ।

तुमने गलत सुना होगा । साहिबा ने सीढ़ियों पर चढ़ते हुए कहा ।

चलो, ये भी मान लिया ! पर तुम्हारी आवाज से साफ झलक रहा था कि तुम किसी खास इंसान को बुला रही हो, तुम बेसुध होकर अस्पताल की सीढ़ियों पर दौड़ी जा रही थी । पता है, तुम्हारी वजह से एक बूढ़े अंकल तो बाल-बाल सीढ़ियों पर से गिरने से बचे । तहरीम ने साहिबा का हाथ पकड़ते हुए कहा तो साहिबा ने उसका हाथ झटका, और अपने कैबिन में चली गई ।

थोड़ी देर बाद,

अस्पताल की कैंटिन में...!

अच्छा तो साहिबा जी कैंटिन में चुपचाप, बिरयानी खाने में मशगूल हैं और इधर हम है कि तुम्हें ढूँढ़ने के चक्कर में पूरे अस्पताल का टूर लगाकर अपना एक किलो वजन घटा चुके है । तहरीम ने साहिबा के पास बैठते हुए कहा ।

तो क्या हुआ, तू कौन सी सूखकर पतला डंडा बन गई, मोटी । साहिबा ने कहा ।

जो कहना है, कह ले । जितना चिड़ाना है, चिड़ा ले। पर ऐसा करके तू बच नहीं पाएगी, मेरे सवालों से । आख़िरकार मैं दिमागी मरीजों की डॉक्टर हूँ, मरीजों के दिमाग और दिल से अच्छे से खेलना आता है, मुझे और फिलहाल मुझे ऐसा लग रहा है, मेरी दोस्त को ही मेरी मदद की जरुरत है। तहरीम ने हँसते हुए कहा तो साहिबा गुस्सा हो गई और उठकर जाने लगी ।

ये जो चुप्पी का रोजा है ना तुम्हारा..! मैं उसे तुड़वाकर मानूँगी । तहरीम उठी और बिना कुछ खाये ही कैंटिन से चली गयी ।
~अ𝐐𝐈ला

To Be Continue..
(पढ़ने के बाद राय जरूर देना )
181 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, edited  08:32
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2022-05-22 22:42:50 मज़ा तड़प का मेरे यार तू रहने ही दे,
न मिल अक़िला को, बेक़रार ही रहने दे ।
~अ𝐐𝐈ला
233 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 19:42
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