2022-06-21 19:23:34
वो सागर है प्यार का मेरे मैं छोटी सी कश्ती हूँ,
वो इस दिल में बसता है मैं उस दिल में बसती हूँ ।
चलते-चलते राह में जब भी तूफान सा आ जाता है,
सागर की बाहें थामी मैं साहिल से लग जाती हूँ ।
तूफानों का वेग थमे जब वो धीरे से आता है,
फिर समेट बाहों में अपनी बीच धार ले जाता है ।
यूं ही किसी दिन हंसते गाते मैं उसमें खो जाऊंगी,
लोगों के व्याकुल आंखों में एक सवाल दे जाऊंगी ।
लोग कहेंगे डूब गई अक़िला आखिर तो एक कश्ती थी,
सागर से नाता कर बैठी, क्या उसकी यह हँसती थी ।
वो क्या जाने कितना गहरा उसका मेरा नाता है,
जैसे बूंद स्वाति की सीपी में डूब मोती बन जाता है ।
~अ𝐐𝐈ला अɴसाʀ𝗶
136 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 16:23