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2022-06-17 14:05:42 यह अलग बात है के उन तक मेरी आंच नहीं पहुंची,
वरना जलने को तो हम कुछ यूं जले के बस राख है बची ।

याद करते हैं मुझे क्यों यह वहम जाता ही नहीं,
ख़लिश बढ़ रही है एहसास है पर आस नहीं ।

मिलते भी नही वो हमसे और जुदा भी वो नहीं,
हमने दी है बख़्श जिनको सल्तनत अपने दिल की ।
~अ𝐐𝐈ला
336 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 11:05
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2022-06-17 13:36:29 लगा लो जोर तुम चाहे जितना तानाशाही के लिए,
हम भी लड़ते रहेंगे अपनी बेगुनाही के लिए ।

कितना भी ज़ुल्म कर लो कत्ल छुपाने के लिए,
आएंगी अब तो लाशें भी गवाही के लिए ।

दिल में जुनून जिनके था नौकरशाही के लिए,
रक़्स करते हैं अब अपने जिल्ले इलाही के लिए ।

सियासत बिक चुकी है अपने ऐसो इशरत के लिए,
पकड़ लाते हैं सिर्फ़ बेगुनाह ही कार्यवाही के लिए ।
~अ𝐐𝐈ला
18 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 10:36
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2022-06-17 13:31:03 जादू-ए-इश्क़ का एक बार तो असर देखें,
तुम जो सामने आओ तो जी भर के तुम्हें देखें ।

तरसी हैं दीद को अब तक जो मेरी आँखें,
आ भी जाओ अब के होके दुनिया से बेख़बर देखें ।

यक़ीन को अहदे इंतेज़ार में मरने नहीं देंगे,
आके ख़्वाबों को मुक़म्मल कर तुम्हारे होके देखें ।
~अ𝐐𝐈ला
23 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 10:31
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2022-06-17 13:29:26 उल्फत के फसाने कुछ इस तरह निभाए हमने,
चुप रह कर हर सांस में लुफ्त दर्द का उठाए हमने ।

जिसके दिल में मेरे नाम की तख्ती ही नहीं थी,
उसी का नाम ले के दरों दीवार को सजाए हमने ।
~अ𝐐𝐈ला
26 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 10:29
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2022-06-16 22:53:49 आईना देख के सूरत मेरी यूं बोल उठा,
कभी ख़ुद से भी वफ़ा कीजिए ।

बहुत निभाए रिश्तें और वफ़ा कर ली बहुत,
फ़र्ज़ ख़ुद का भी अदा कीजिए ।

शक्ल कैसी थी तेरी भूल ना मैं जाऊं कही,
कभी तो सज संवर भी लिजिए ।

जब तलक सांस है लोगों से मिलो बातें करो,
यूं ना चुपचाप रहा कीजिए ।

क्यों खामोश हो और किस लिए हैं होंठ सिए,
मज़म्मत न सही कुछ तो गिला कीजिए ।

फ़क़त शौक था जिनका मोहब्बत का सफर,
उन ख़ाकसारों के लिए अब ना दुआ कीजिए ।

वह जो भी था वो एक लम्हें की बदगुमानी थी,
भूलकर गीत नया गुनगुनाया कीजिए ।
~अ𝐐𝐈ला
172 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 19:53
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2022-06-16 18:37:09 वक्त देता जो इतनी सी मोहलत मुझको,
बिठा के सामने शिकायत तेरी करती तुझको ।

आंखें नम होती और होठ कप-कपा रहे होते,
अपनी बेबसी को महसूस कराती तुझको ।

भ्रम मोहब्बत का जो यूं ना तोड़ा होता,
राब्ता कैसे निभाते हैं सिखाती तुझको ।

लगाए बैठते ना जो प्यार का बाजार सुबहो शाम,
तो ख़ुद से भी किसी एक दिन मिलाती तुझको ।

प्यार, अपनापन, वफ़ा तो सब नेमते हैं रब की,
प्यार कोई खेल नहीं एहसास दिलाती तुझको ।
~अ𝐐𝐈ला
229 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:37
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2022-06-16 18:25:59 दिल हैरान परेशान कई रोज़ से है,
उनसे मिलने का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।

अना का आईना एक दिन तो टूटेगा जरूर,
दिल इस उम्मीद के साए में कई रोज़ से है ।

भटक रही हूँ कई रोज़ से यहां से वहां,
कहाँ जाऊं दिल बेक़रार कई रोज़ से है ।

एक मैं दिल में लिए फ़िरती हूँ बेइंतेहा चाहत,
एक उनके इक़रार का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।

सौ सवाल, जवाब और हिज़्र ज़दा दिल,
उनके जवाब का इंतेज़ार कई रोज़ से है ।

हिचकियों से ना हो दुश्वार कहीं साँसे उनकी,
मेरे होंठो पर उनका नाम कई रोज़ से है ।

इतना भी वास्ता तू उनसे ना रख ऐ मेरे दिल,
उनके बेख़याली के चर्चे सरेआम कई रोज़ से है ।
~अ𝐐𝐈ला
206 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 15:25
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2022-06-16 14:15:25 आया है वो मुकाम इस दौरे उम्र में,
जिससे था दिल बचाना उसपे ही मर गए ।

है कशमकश में ज़िंदगी किस से करे गिला,
थी झूठ से नफरत जिसे वो सच से डर गए ।

होगी किसी को चाहत पाने की माहताब...!
~अ𝐐𝐈ला
(पूरी ग़ज़ल bio की link में मिलेगी )
224 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 11:15
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2022-06-16 14:05:11 ढाला है जिसमें वक्त ने ढलने लगी हूँ मैं,
आईने को शिकायत है कि बदलने लगी हूँ मैं ।

ज़िंदगी के नए रास्तों पर निकल चली हूँ अब,
जो बीती थी उन हादसों से संभलने लगी हूँ मैं ।

ख़ामोश रहकर बोलने की कला सीख ली है अब,
अंधेरे में उजाले का गीत लिखने लगी हूँ मैं ।

बन के एक तूफानी हवा सी लहराती बलखाती,
सोए संवेदनाओं को फिर जगाने लगी हूँ मैं ।

एक दिया सा बुझ गया था दिल में जो जलकर कहीं,
उम्मीद की लौ से उसे फिर जलाने लगी हूँ मैं ।

मेरे हर एक यकीन पर थी ठोकर बहुत सी लगी,
दुनिया की हर एक फ़रेब को अब समझने लगी हूँ मैं ।

जिस मोहब्बत से उठा था एक दिन यकीं अक़िला का,
उसी के किस्से अब मुसलसल बयां करने लगी हूँ मैं ।
~अ𝐐𝐈ला
216 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 11:05
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2022-06-16 13:59:27 जो मेरा प्यार एक भरम है तो भरम ही सही,
तू अगर मेरा वहम है तो वहम ही सही ।

मुझे मालूम है मिलेगा ना चाहत का सिला,
इश्क़ है ना मिले करम तो सितम ही सही ।

है अक़िला बिमार तो आके देख तो जाते एक दिन,
है मंजूर जो दे तू नहीं मरहम तो ज़ख़्म ही सही ।

समझाया आलिमों ने कितना मगर दिल ज़िद्द पे आया है,
तू मिले या ना मिले मुझको तो तेरा गम ही सही ।

इस उम्मीद में कि एक दिन तू मिलेगा मुझको,
दिल ये सोच के ख़ुश है तो ख़ुशफ़हमी ही सही ।

है मेरा यार मेरा इश्क़ और रब अक़िला की इबादत,
अब है दुनिया को शिकायत तो शिकायत ही सही ।
~अ𝐐𝐈ला
218 viewsअ𝐐𝐈ला अɴसाʀɪ, 10:59
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