2022-06-18 10:21:08
चलो माना आपको ये रास नहीं आई,
सेना के शूरवीरों की नई नीति जो बनाई है ।
पर ये कैसा आपका राष्ट्र के प्रति समर्पण ?
जो आपने खुद के ही राष्ट्र में उपद्रव की आग लगाई है ।
राष्ट्रहित ही सदा सर्वदा सर्वोपरि,
इससे ना कभी कोई समझौता हो,
जब मिले अवसर राष्ट्र की आन में मिटने का,
तो बिना शर्त हमारा सीना फक्र से चौड़ा हो ।
जय जवान, जय किसान
जय हिन्द, जय भारत भाईयों,
इस रचना के माध्यम से मैं बस कुछ विचारणीय तथ्य आपसे साझा करने का प्रयास कर रही हूँ । माना कि एक सशक्त समाज और राष्ट्र निर्माण में यथोचित बहस का भी समान स्थान होता है, नीतियां विचारों के मंथन से ही अवतरित हों तो दूरगामी परिणाम देती हैं, साथ ही हम सभी नागरिकों का इस राष्ट्र को शिरोमणि बनाने का समान उत्तरदायित्व भी है, पर मेरा मेरे राष्ट्र के होनहार युवाओं/भाईयों से सिर्फ इतना ही निवेदन है, कि जिन युवाओं के ही कंधे पर इस राष्ट्र को आगे ले जाने का उत्तरदायित्व सबसे अधिक हो वो कोई भी निर्णय क्या ऐसी उत्तेजना के साथ आक्रोशित होकर लेने लगे तो सोचिए भाईयों हम किस दिशा में अग्रसर हो रहे हैं ?
एक सशक्त राष्ट्र के रूप में तथा सभ्य,सहनशील, विचारोन्मुख, शिक्षित, एवम विश्व में जिस उदाहरण के रूप में हम जाने जाते हैं, क्या ऐसी ओछी हरकत हमें शोभा देती है ? हमें अगर पुनः भारतवर्ष को विश्वगुरु बनाना है तो हमें अपने आचरण में सुधार की सख्त जरूरत है, ऐसे उत्तेजित होकर राष्ट्र की ही संपति को नुकसान पहुंचाकर हम पूरे विश्व को एवं देश विरोधी ताकतों को बहुत गलत संदेश दे रहे हैं ।
मेरा इस लेखन के माध्यम से ये बिल्कुल मतलब नहीं है, कि मैं अपने कोई विचार आप पर थोपने का कोई प्रयास कर रही हूँ, ना ही कोई इरादा है मेरा, आखिर एक एक स्वस्थ लोकतांत्रिक प्रणाली का हम सभी हिस्सा हैं, जहां हम सभी को अपने विचारों को व्यक्त करने का अधिकार हमें हमारा संविधान देता है, परंतु उसके क्रियान्वयन का जिम्मा हमारा ही है, जितनी सभ्यता हम दिखा सकें वो हमारे लिए एवम राष्ट्र और समाज सभी के लिए हितकारी होगा ।
अंत में इसी विचार के साथ आपके नैतिक मूल्यों और समझदारी पर विश्वास करते हुए सिर्फ आपके विचार के लिए अपनी अभिव्यक्ति को सुपुर्द करती हूँ ।
आप जो भी सोचें या करें राष्ट्रहित को ध्यान में रखकर ही करें, इतनी सी ही विनती है
धन्यवाद :
~अ𝐐𝐈ला अɴसाʀ𝗶
273 viewsअ𝗾𝗶ला अɴसाʀ𝗶, 07:21