2022-06-12 16:28:53
शस्त्र-धारिणीं नमो नमः
--------------------------- जीवन महासंग्राम है। आप साधु बन जाओ, जंगल में जाकर पेड़ के नीचे बैठ जाओ, अपने आपको चार-दीवारी में कैद कर लो, जो मर्जी आये वो विधान अपना लो, चाहे जितनी बुद्धि लगा लो, जितना चाहे उतना अपने आपको सुरक्षित कर लो परन्तु महा संग्राम आप तक आ धमकेगा किसी न किसी रूप में और आप बच नहीं सकते। करोड़ों वर्षों सत्य, अहिंसा, दया, सेवा, सात्विकता, प्रेम, सौहाद्र, मैत्री इत्यादि की विचारधाराओं का प्रचार-प्रसार, पुराण, प्रवचन सीख इत्यादि के माध्यम से होता आ रहा है, होता रहेगा और होता आया है अपितु मैं इनका विरोधी नहीं हूँ, मैं किसी का विरोधी नहीं हूँ, विरोध और समर्थन जाने अनजाने में व्यक्ति को महासंग्राम में खींच लाते हैं। विरोध और समर्थन दोनों महासंग्राम के दो हाथ हैं इसलिए मैं शाश्वत सत्य की बात कर रहा हूँ, सनातन धर्म की बात कर रहा हूँ, प्रत्यंगिरा की शरण में जा रहा हूँ अर्थात भागो यहाँ से
क्रीं का महाषोढान्यास कर,
क्रीं वह महाबीज मंत्र है जिसके हाथ में न जाने कितने अस्त्र-शस्त्र विराजमान हैं पाशुपतास्त्र, आग्नेयास्त्र, त्रिशूलास्त्र, घोरास्त्र, अघोरास्त्र, प्रकाशास्त्र, दिव्यास्त्र से लेकर छुरी, तलवार, डमरु, खड्ग इत्यादि इत्यादि ।
हे महाप्रत्यंगिरे तू शस्त्र निर्मात्री है, तू शस्त्र बिन्दु है, तू अस्त्र सुसज्जिता है। नमोऽस्तुते नमोऽस्तुते समस्त शस्त्र धारिणी नमोऽस्तुते अतः इस महा षोढान्यास से जातक के अंदर समस्त शस्त्रों का प्रादुर्भाव स्वतः ही हो जाता है, एक महाशस्त्र संस्थान मस्तिष्क में क्रियाशील हो उठता है साथ ही साथ सहस्त्रार के मुख्य बिन्दु में शस्त्र बीज पल्लवित हो उठता है, सारे राडार अपने आप क्रियाशील हो उठते हैं एवं पर-शस्त्र आप तक पहुँचें, शत्रु आप तक पहुँचे इससे पहले ही रास्ते में उसका काम तमाम हो जाता है, उसके षडयंत्र का भांडा-फोड़ हो जाता है, उसके कुत्सित प्रवास जग जाहिर हो जाते हैं। आपके शरीर की समस्त गुप्तचर प्रणालियाँ सक्रिय हो उठती है और प्रत्यंगिरा, उपासना के माध्यम से आपको पहले ही सटीक सूचना प्रदान कर देती और आप बच निकलते हैं। इसके पश्चात् भी अगर शत्रु से आमना सामना हो जाये तो उसको हार निश्चित है। हे परम गोपनीय कालिका तुझे काली कहा जाता है क्योंकि जो कुछ भी उत्पन्न होता है वह काले में से ही उत्पन्न होता है और काले में ही विलीन हो जाता है। सातों रंग काले रंग में से निकलते हैं और पुन: काले रंग में विलीन हो जाते हैं।
जीवन क्या है? आप किसे जीवन कहते हैं? प्रथम जन्म लेने से पूर्व हम कहाँ थे वह परम गोपनीय है अर्थात काली के काले रंग में छिपा हुआ है, मृत्यु के बाद हम कहाँ जायेंगे? वह भी परम गोपनीय है और यह भी काली के काले रंग में छिपा हुआ है। कहाँ से आये ? कहाँ गये? काली जो जानें। जन्म से मृत्यु तक की इस समयावधि में भी 50 प्रतिशत हम निद्रा के आगोश में रहते हैं अर्थात काली की गोद में लेटे रहते हैं अत: काली हो हमारी माता है, वास्तविक माता इसलिए वह महाप्रत्यंगिरा के रूप में इन जागृत प्रकाशमय समयावधि में हमारी रक्षा करती है। जब चिकित्सक की समझ में कुछ नहीं आता तो वह नींद की दवा दे देता है, जब दर्द बहुत होता है तब नशे का इंजेक्शन लगा दिया जाता है। दर्द निवारक औषधि क्या है ? एक तरह से नींद की औषधि है, जिस स्थान विशेष पर दर्द हो रहा हो उस स्थान विशेष को सुला दो, निद्रित कर दो। जब हम बहुत थक जाते हैं तो सो जाते हैं और पता नहीं कहाँ से पुनः सोम आकर हमें स्फूर्तिवान बना देता है। जब बच्चा रोता है तो माँ उसे सुला देती है क्या करें उसकी तथाकथित माँ ? अतः वह उसे निद्रा-रूपी मां कालिका की शरण में भेज देती है। जो सारे गम भुला दे सारे गिले शिकवे मिटा दे, कुछ पल के लिए चिंताओं से मुक्त कर दे वही प्रत्यंगिरा अर्थात कृत्य और कर्म के दुष्प्रभाव (साइडइफेक्ट्स) को हमारे मस्तिष्क से निकाल दे।
मनुष्य इस ब्रह्माण्ड में परम ऊर्जा का केन्द्र है, मनुष्य का निर्माण ऊर्जा के एक महत्वपूर्ण स्तोत्र के रूप में किया गया है एवं मनुष्य के अंदर कालिका सोम भरती है अतः वह सबकी नजरों में चढ़ा हुआ है और इसी सोम की प्राप्ति के लिए चाहे सूर्य हों, चाहे चंद्रमा, चाहे भूमि हो, चाहे राहु-केतु, चाहे शनि हों, चाहे गुरु हों, चाहे बुध हों, चाहे बृहस्पति हो, रोग ग्रह, बाल ग्रह, चौर ग्रह, शूद्र ग्रह, हिंसक पशु, मनुष्य, देवता, असुर, गंधर्व, यक्ष इत्यादि इत्यादि सबके सब मनुष्य से ऊर्जा प्राप्त करने में लगे हुए। होते हैं, सबकी निगाहें हम पर लगी हुई है, सब अपने-अपने अस्त्र-शस्त्रों, अपने-अपने विधानों, अपने-अपने प्रपंचों, अपने-अपने तंत्र के द्वारा मनुष्य का शोषण करने पर उतारू हैं।
(क्रमशः)
@Sanatan
235 views𝑺𝒂𝒕𝒚𝒂𝒎 𝒏𝒊𝒌𝒉𝒊𝒍 , edited 13:28